ओडीएफ की हकीकत

ग्रामीण भारत के सौ फीसदी घरों में शौचालय है और देश खुले में शौच से मुक्त हो गया
है। सरकार के इस गगनचुंबी दावे के बरक्स सच्चाई क्या है ?, यह एक सरकारी रिपोर्ट
से ही सामने आ गई है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) की हाल ही में आई
रिपोर्ट ने इस दावे की पोल खोलते हुए बतलाया है कि देश के ग्रामीण इलाकों की एक चौथाई
से ज्यादा आबादी शौचालय की पहुंच से दूर है। जिसमें उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों की
आधी आबादी के लिए आज भी शौचालय मयस्सर नहीं है। गुजरात, जहां कि सरकार ने
फरवरी 2018 में अपने राज्य को ओडीएफ घोषित किया था, वहां जमीनी हकीकत यह है कि 14 फीसदी
लोग अभी भी शौचालय से दूर हैं। अलबत्ता शहरी इलाकों में जरूर सिर्फ चार फीसदी लोग
शौचालय से वंचित हैं।एनएसएसओ की अकेले ये रिपोर्ट ही नहीं, बल्कि पिछले साल नियंत्रक एवं
महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी गुजरात सरकार के इस दावे पर सवाल उठाते हुए कहा था कि
राज्य के 30 फीसदी घरों में शौचालय नहीं हैं। बावजूद इसके बीते 2 अक्टूबर को
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने गृह प्रदेश
गुजरात में एक भव्य कार्यक्रम में पूरे देश को ओडीएफ यानी खुले में शौचमुक्त घोषित कर
दिया। ये जाने बिना कि सरकारी आंकड़े कुछ और ही गवाही देते हैं। भारत में पेयजल,
स्वच्छता, आरोग्यता एवं आवासीय स्थिति नामक यह रिपोर्ट देश भर के नौ हजार घरों के
सर्वेक्षण पर आधारित है, जो पिछले साल जुलाई और दिसम्बर के बीच आयोजित किया गया
था। रिपोर्ट में विकसित कहे जाने वाले राज्यों की स्थिति भी नासाज है। मसलन महाराष्ट्र
सरकार ने अप्रेल, 2018 और आंध्र प्रदेश ने जून, 2018 में अपने-अपने राज्यों को खुले में
शौच से मुक्त घोषित कर दिया था। लेकिन सर्वे में पाया गया कि दोनों ही राज्यों के 22 फीसदी
घरों में शौचालय नहीं हैं। सरकारों के तमाम बड़े-बड़े दावों और वादों के बाद भी
दूरदराज के गांव तो छोडि़ए, शहर की सीमाओं से लगे गांवों में भी शौचालय नहीं हैं।
अलबत्ता कागजों में यह गांव जरूर खुले में शौचमुक्त घोषित हो गए हैं। उत्तर प्रदेश की ही


यदि बात करें, तो पिछले साल दिसम्बर में केन्द्रीय स्वच्छता एंव पेयजल राज्यमंत्री ने राज्यसभा
में दावा किया था कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों को सौ फीसदी ओडीएफ कर दिया है। लेकिन इस
दावे में कितनी सच्चाई थी ?, यह अब पूरे देश के सामने खुलकर आ गई है। यदि बाकी ओडीएफ
गांवों की भी सही जांच की जाए, तो ऐसी ही ना जाने कितनी गड़बडिय़ां पकड़ में आएंगी। अनेक
झूठ बेनकाब होंगे। उत्तर प्रदेश ने तो फर्जीवाड़े में हद ही कर दी। वहां ऐसे गांवों को भी
शौचमुक्त कर दिया गया, जो बसे ही नहीं थे। खुले में शौच से मुक्ति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
का ड्रीम प्रोजेक्ट है। साल 2014 में केन्द्र की सत्ता में आते ही उन्होंने यह मुद्दा जोर-शोर
से उठाया था और 2 अक्टूबर, 2019 तक पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त करने का
लक्ष्य घोषित कर दिया। प्रधानमंत्री के इस एलान के बाद, शहरी विकास मंत्रालय से लेकर
ग्रामीण विकास मंत्रालय तक इस मुहिम में जी-जान से जुट गए। सरकार ने इस दिशा में कदम
बढ़ाते हुए, स्वच्छ भारत मिशन के लिए करदाताओं पर स्वच्छता उपकर भी लगाया। 2
अक्टूबर, 2014 से अप्रेल 2018 तक इस मद में प्राप्त धनराशि में से 1 लाख 59 हजार करोड़ रूपए
स्वच्छता अभियान के लिए आवंटित किए गए हैं। मगर शौचालय जमीन पर कम, सरकारी फाइलों
में ज्यादा दर्ज हैं। सरकार दावा करती है स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)श् के अंतर्गत 5.4 लाख
से अधिक गांव और 585 जिले खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किए गए हैं और अब तक 27
राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने स्वयं को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया है। लेकिन
मीडिया रिपोर्टों में आए दिन मालूम चलता रहता है कि ओडीएफ करार दिए गए गांव और
शहरों के अनेक घरों में शौचालय नहीं बने हैं। शौचालय यदि बन गए हैं, तो पानी के अभाव
में या और किसी वजह से इस्तेमाल नहीं हो रहे। अलबत्ता स्वच्छता मिशन के आंकड़ों का खेल
हर जगह खेला जा रहा है। लक्ष्य प्राप्त करने की हड़बड़ी में कई गांव-शहरों को कागजों में
ही ओडीएफ टैग दे दिया गया है। आंकड़ों की बाजीगरी कर प्रदेश सरकारों ने अपने-अपने
राज्यों को ओडीएफ घोषित कर दिया है। जबकि असलियत कुछ और है, जो एनएसएसओ की रिपोर्ट
में जाहिर हुई है। इस रिपोर्ट ने सरकार को मानो आईना दिखलाया है। सरकार यदि
वाकई ओडीएफ के जानिब संजीदा है, तो उसे जमीनी स्तर पर और भी गंभीर कोशिशें करनी
होंगी। सरकार को इस बात की तुरंत जांच कराना चाहिए कि करोड़ों रूपए खर्च करने के
बाद भी ओडीएफ का लक्ष्य क्यों हासिल नहीं हुआ ? इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं ? जांच के बाद,
दोषियों पर कार्यवाही भी जरूरी है। यदि कार्यवाही नहीं हुई, तो आगे भी स्वच्छ भारत मिशन
में इसी तरह से फर्जीवाड़ा चलता रहेगा और हासिल कुछ नहीं होगा।