लखनऊ।शक्ति एवं निष्ठा के प्रतीक, लाल एवं नीले रंग के ध्वज ने उत्तर प्रदेश पुलिस को एक गौरवमयी पहचान दी है। ब्रिटिश उपनिवेश के 'पुलिस-बल' से पुलिस-विभाग' तक की यात्रा उत्तर प्रदेश पुलिस के लिये एक गौरव गाथा है। जिसका
प्रत्येक पृष्ठ भारत के आधुनिक इतिहास का प्रामाणिक साक्ष्य है। वर्ष 1860 में जब कोर्ट पुलिस कमीशन में 'सिविल कान्सटेबुलरी' के गठन की योजना बनी, तब से सर सीताराम पुलिस पुनर्गठन कमेटी एवं उसके बाद वर्ष 1960 में उ०प्र० पुलिस कमीशन तक आते-आते 'कानून की सीमा' में पुलिस व्यवस्था को संचालित करने की
रीति-नीति बनायी गयी। पुलिस एक्ट-1861 के अनुसार पुलिस का पुनर्गठन अपराध के नियंत्रण एवं अन्वेषण के लिये किया गया। स्वतंत्रता के पश्चात् पुलिस तंत्र को जनता के प्रति जवाबदेह बनाते हुए उ०प्र० पुलिस कमीशन द्वारा पुलिस को कानून की सीमा में रहकर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
23 नवम्बर, 1952 को पुलिस लाइन्स लखनऊ के परेड ग्राउण्ड में वार्षिक पुलिस परेड के अवसर पर राष्ट्र के प्रथम प्रधानमंत्री द्वारा पुलिस एवं पीएसी ध्वज प्रदान किये गये। उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से पुलिस उप अधीक्षक एस एन तनखा द्वारा ध्वज प्राप्त किया गया। ध्वज का आकार4 फिट लम्बा एवं 3 फिट चीड़ा है। यह दो रंगों का है जिसमें ऊपर लाल रंग और नीचे की ओर नीला रंग है। मध्य में उ०प्र० पुलिस का प्रतीक चिन्ह है।
शक्ति और निष्ठा का प्रतीक है पुलिस का ध्वज