विश्व की प्रख्यात मार्केट रिसर्च फर्म इप्सोस द्वारा 24 मई से 7 जून 2019 तक 28 देशों में
ऑनलाइन वैश्विक खुशहाली सर्वेक्षण किया गया। यह सर्वेक्षण एक प्रकार से नागरिकों
की खुशहाली के बारे में रायशुमारी थी। इप्सोस द्वारा वैश्विक खुशहाली सर्वे हेतु
आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, ग्रेट ब्रिटेन, इटली, जापान, मैक्सिको,
स्पेन, संयुक्त राज्य अमेरिका इन 12 देशों से सेम्पल में 1000 नागरिक तथा अर्जेंटीना,
बेल्जियम, चिली, कोलंबिया, हंगरी, भारत, मलेशिया, पेरू, रशिया, सउदी अरब, दक्षिण
अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और तुर्की इन 16 देशों में प्रत्येक देश से 500 नागरिक इस
प्रकार 28 देशों से नागरिक चुनकर ऑनलाइन जानकारी एकत्रित की गई। इस सर्वेक्षण
में नागरिकों से आरामदायक रहन-सहन, अच्छा स्वास्थ्य, मजबूत वित्तीय स्थिति, व्यक्तिगत
सुरक्षा, मित्र मंडली एवं सामाजिक स्थिति, जीने का मकसद, शौक और रुचियां तथा देश की भलाई
आदि बिन्दुओं पर रायशुमारी की गई थी। इप्सोस द्वारा 2011 से विश्व खुशहाली सर्वेक्षण
किया जा रहा है। 2019 के सर्वेक्षण के अनुसार नागरिकों द्वारा खुशहाली महसूस
करने में 28 देशों में भारत नौंवे पायदान पर है जहां के चयनित 500 भारतीयों में से 77
प्रतिशत ने अपने आपको खुशहाल बताया।
भारतीयों ने बताया कि आरामदायक जीवन, स्वास्थ्य, मजबूत आर्थिक स्थिति, अच्छी सामाजिक स्थिति
और मित्रमडंली के कारण वे खुशहाल हैं। इस सर्वेक्षण के अनुसार आस्ट्रेलिया और
कनाडा खुशहाली में चोटी पर हैं जहां के 86 प्रतिशत नागरिक खुशहाल हैं। इन दोनों
देशों के बाद क्रमश: चीन, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका खुशहाल
नागरिकों के देश है। 28 देशों में अर्जेंटीना, स्पेन और रशिया सबसे निचली पायदान
पर हैं, जहां के 50 प्रतिशत से भी कम नागरिक खुशहाल हैं। दूसरी ओर 2011 में ही संयुक्त
राष्ट्रसंघ द्वारा यूएनडीपी के माध्यम से संयुक्त राष्ट्रसंघ सतत विकास समाधान नेटवर्क
यूएनएसडीजी को विश्व खुशहाली सूचकांक बनाकर खुशहाली रिपोर्ट बनाने का दायित्व सौंपा
गया। संयुक्त राष्ट्रसंघ विकास सतत विकास समाधान नेटवर्क द्वारा पहली विश्व खुशहाली
रिपोर्ट 2012 में जारी की गई। इस खुशहाली सूचकांक में नागरिकों की आमदनी, स्वस्थ जीवन
प्रत्याशा, सामाजिक सहारा, जीवन में निर्णय लेने की आजादी, विश्वास और भ्रष्टाचार के
बारे में उनकी राय इन 6 कारकों को शामिल किया जाता है तथा प्राप्तांक के आधार
पर वैश्विक रैंकिंग की जाती है। विश्व के देशों के वार्षिक खुशहाली सूचकांक बनाने लिए के
देशों की गैलॉप विश्व रायशुमारी सर्वेक्षण के द्वारा संकलित आंकड़ों का उपयोग
किया जाता है। विभिन्न देशों द्वारा 0 से 10 के बीच प्राप्तांक के आधार पर विश्व
खुशहाली सूचकांक तैयार किया जाता है।
यूएनडीपी के विश्व खुशहाली सूचकंाक 2019 के अनुसार भारत 10 में से 4.01 अंक प्राप्त करके
156 देशों में 140वें स्थान पर है। 156 देशों में 7.77 अंक प्राप्त करके फिनलैंड पहले स्थान पर
कायम है, दूसरे स्थान पर डेनमार्क दूसरी तथा नार्वे तीसरी पायदान पर रहे। खुशहाली
में 156 देशों में चोटी के दस देश प्राप्तंाक के आधार पर चौथे से दसवें स्थान पर क्रमशरू इस
प्रकार रहेरू आइसलैड , नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, न्यूजीलैंड, कनाडा और
ऑस्ट्रिया। ये सभी देश 2012 से लगातार प्रथम 10 देशों में अपना स्थान बनाए हुए हैं, यद्यपि
उनकी रैंकिंग में थोड़ा बहुत बदलाव होता रहता है। 156 देशों में खुशहाली में सबसे फिसड्डी
देश दक्षिण सूडान 2.85 प्राप्तांक साथ रहा। 2019 में दक्षिण सूडान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य,
अफगानिस्तान, तंजानिया, रवांडा, यमन, मलावी, सीरिया, बोटसवाना और हैती ये 10 देश
रैंकिंग में सबसे नीचे था। इन देशों को दुनिया का सबसे अधिक बदहाल देश भी कहा जा सकता
है। संयुक्त राष्ट्रसंघ विकास कार्यक्रम द्वारा तैयार किये जाने वाले मानव सूचकांक में
जो देश प्रथम पंक्ति में है वे ही देश खुशहाली सूचकांक में भी उच्च स्थान पर है तथा मानव विकास
सूचकांक में नीचे की पायदान पर रहने वाले देश खुशहाली सूचकांक में भी सबसे अधिक
पिछड़े हैं।खुशहाली अवधारणा को विकास की कसौटी विकसित करने का श्रेय भूटान को
जाता है। भूटान ने 1971 में सकल राष्ट्रीय खुशहाली जीएनएच की अवधारणा विकसित की।
भूटान की खुशहाली की अवधारणा में प्राकृतिक वातावरण के साथ ही लोगों के
आध्यात्मिक, भौतिक, सामाजिक और पर्यावरण स्वास्थ्य को शामिल किया गया है। सकल
राष्र्ट्रीय खुशहाली सूचकांक बनाने का आधार समान सामाजिक विकास, सांस्कृतिक
संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण और सुशासन को प्रोत्साहन देना है। दरअसल संयुक्त
राष्ट्रसंघ विकास कार्यक्रम का विश्व खुशहाली सूचकांक तथा इप्सोस का वैश्विक खुशहाली
सर्वेक्षण दोनों का प्रेरणास्रोत भूूटान की सकल राष्ट्रीय खुशहाली अवधारणा रही है।
संयुक्त राष्ट्रसंघ सतत विकास समाधान नेटवर्क ने अपनी विश्व खुशहाली रिपोर्ट को तैयार
करने में भूटान से बाकायदा परामर्श भी किया था। इप्सोस के खुशहाली सर्वेक्षण में
भारत 28 देशों में खुशहाली में नौंवे स्थान पर है तथा यहां के 77 प्रतिशत लोग खुशहाल हैं।
खुशहाली मेंरशिया सहित यूरोप के देश भारत से बहुत पीछे हैं, इससे भारतीयों को खुश
होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इप्सोस द्वारा चुने गए 500 भारतीय की राय पर आधारित
है। भारत सरीखे देश में जहां पर हर प्रकार की विषमता और विविधता है, सेम्पल का
आकार बड़ा होना चाहिए था। इप्सोस और संयुक्त राष्ट्रसंघ सतत विकास समाधान नेटवर्क
दोनों के ही सर्वेक्षणों में खुशहाली शब्द जुड़ा है किंतु दोनों के परिणामों की तुलना नहीं
की जा सकती। इप्सोस का सर्वेक्षण पूरी तरह आनलाइन रायशुमारी पर आधारित हैै
जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ के खुशहाली सूचकांक भौतिक उपलब्धियों तथा प्रमुख बिन्दुओं पर राय
दोनों पर आधारित है। संयुक्त राष्ट्रसंघ विकास कार्यक्रम का खुशहाली सूचकांक
गुणवत्तापूर्ण और श्रेष्ठ होने के कारण प्रामाणिक और विश्वसनीय माना जाता है।
हमारे प्रधानमंत्रीजी ने जिस प्रकार से 2024-25 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था
की बनाने का मिशन बना लिया है, उसी प्रकार उन्हें भारत को संयुक्त राष्ट्रसंघ के
खुशहाली के मानदंडों के आधार पर भारत को खुशहाल देश बनाने पर भी ध्यान देने की
जरूरत है।