लखन। उत्तराखण्ड महापरिषद द्वारा दस दिवसीय उत्तराखण्ड महोत्सव नौ नवम्बर से पं0 गोविन्द बल्लभ पंत पर्वतीय सांस्कृतिक उपवन, गोमती तट में होगा। महोत्सव का उद्घाटन योगी आदित्य नाथ उत्तर प्रदेश तथा समापन मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड करेंगे। इस मौके पर उत्तराखण्ड दर्पण -2019 का विमोचन के साथ ही उत्तरखण्ड गौरव का सम्मान सुप्रसिद्ध लोक गायक व लेखक हीरा सिंह राणा को दिया जायेगा।
शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में उत्तरखण्ड महापरिषद के अध्यक्ष, मोहन सिंह बिष्ट,महासचिव हरीश चन्द्र पंत, संयोजक दीवान सिंह अधिकारी एवं हेम सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, मंगल सिंह रावत, सचिव-भरत सिंह बिष्ट, उपाध्यक्ष खुशाल सिंह बिष्ट, महेश रौतेला, संगठन सचिव भुवन पटवाल सहित पदाधिकारी मौजूद थे जिसमे अध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट ने बताया कि महोत्सव नई सोच, नई विचार व नई उमंग के साथ किया जायेगा। महोत्सव में प्रथम दिवस सांसद प्रो0 रीता बहुगुणा जोशी कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगी। स्वागत उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्ध छोलिया दल द्वारा किया जायेगा। उसके उपरान्त भव्य पारम्परिक, पौराणिक लोक गीत एवं लोक नृत्य का मंचीय प्रदर्शन कलाकरों द्वारा किया जायेगा।
महोत्सव के द्वितीय दिवस पर जनरल विपिन सिंह रावत थल सेवा प्रमुख मुख्य अतिथि होगें। द्वितीय दिवस भारतीय सेना के नाम होगी। जिसमें भारतीय सेना के शहीद परिवारों को सेना प्रमुख द्वारा सम्मानित किया जायेगा। दस दिवसीय उत्तराखण्ड महोत्सव में भारत के विभिन्न प्रांतों की पारम्परिक लोक विधाओं पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होगें जिसमें उ0 प्र0 के कलाकार पाई डण्डा नृत्य पेश कर दर्शकों का मन मोहगें वही मथुरा के कलाकार महारास, चरकूला, मयूर नृत्य तथा फूलों की होली से सभी का अपने रंग में रंगगे। उत्तराखण्ड के छोलिया--परम्पपरागत रंगीन वेशभूषा में बैगपाइपर पर कर्णप्रिय धुन बजाते हुए ढोल दमाऊ के थाप पर ढाल तलवार के साथ झूमते नाचते तथा मीनार बनाते नर्तक, तुरही रणशिगां का उद्घोष सभी अतिथियों और दर्शकों का स्वागत करेगें। उत्तराखण्ड महापरिषद के स्थानीय कलाकार तथा मेहमान कलाकारों द्वारा अपनी अनूठी संस्कृति का अदभुत परिचय विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों द्वारा दर्शकों को मोहेगा।
बैठक में हरीश चंद पत ने दस दिवसीय उत्तराखण्ड महोत्सव की तैयारियों की विस्तृत
जानकारी दी तथा हस्त शिल्प एवं हथकरघा के जैविक उत्पदों की प्रदर्शनी भी लगाई जायेगी। उत्तराखण्ड के जैविक उत्पादों में गहत, भट्ट, सफेद राजमा, तोर, मडूवा का आटा, जड़ी बूटी, फलों का जूस, गढेरी, मूली, नीबू अल्मोडा की प्रसिद्ध बाल मिठाई, चौकलेट और सिगौडी आदि महोत्सव में उपलब्ध होगी। इसमें गहत की दाल पथरी के रोग के लिए फायदेमंद एवं गडुवा का आटा सुगर के लिए काफी फायदेमदं है। महोत्सव में पानी बचाओं,महिला सशक्तीकरण, प्रदूषण, स्वास्थ्य आदि विषयों पर परिचर्चा भी कराई जायेगी। महोत्सव में महाराष्ट्र के मेहमान कलाकार लावणी, कोली के साथ राक बैण्ड प्रस्तुत कर धूम मचायेगें, गुजरात का डाडियाँ भी दर्शकों के आकषर्ण का केन्द्र रहेगा, उडिसा का मछवारा नत्य जो कि विलक्षण विधाओं में से है कि की सुन्दर प्रस्तुति भी होगी। महोत्सव में प्रतिदिन 2 बजे से 6 बजे तक तथा सांय 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होगें।
उत्तराखण्ड के जौनसार जनपद चकरौता के ढोल सागर महोत्सव का आर्कषण का केन्द्र होगा जिसमें ढाल दमऊ गढवाल और कुमाऊँ के पारम्परिक वाद्य यत्र है इन यंत्रों को बजाने वाले कलाकार इस कला के माध्यम से लोगों को कुमॉऊ और गढवाल के दर्शन करायेगें। कहा जाता है कि ढोल सागर गुरू गोरखनाथ सम्प्रदाय की देन है तो गोरखनाथ जी भी शिव के उपासक ही है। इस ढोल सागर में अलौकिक ज्ञान जिसमें प्रत्यक्ष व परोक्ष तौर पर जागर के जरिये देवताओं से सीधा वार्तालाप होता है। ऋषि मुनियों की तपोस्थली देवभूमि का एक ऐसा मौखिक काब्य शास्त्र जो सदियों पुरानी थाती के रूप में उत्तराखण्ड के लोक में रचा बसा है। इस लोक विधा में समद्ध केदारखण्ड (गढवाल) के पास जागर की 18 जबकि मानसखण्ड में 16 ताल की अनूठी कला विदयमान है। पार्वती एवं शिवजी का वार्तालाप ही ढोल सांगर है जिसकी सुन्दर प्रस्तुति दर्शकों का मन मोह लेगा।