भ्रष्टों के खिलाफ मोदी की अगली सर्जिकल स्ट्राइक

केन्द्र की मोदी सरकार ने अब तक कई ऐसे अहम फैसले और निर्णय लिये जो मील के पत्थर बन
चुके हैै। बेरोजगारी, मंहगाई तथा अन्य कई ऐसे मामले में वह निश्चित लगाम लगाने मे
कामयाब नही हो पाई। इसके बावजूद बंगलादेश सीमा विवाद. नोटबन्दी. जीएसटी,
डोकलाम,अंतरराष्ट्रीय योग दिवस,राफेल, एयर डिफेंस सिस्टम,सर्जिकल स्ट्राइक, एयर
स्ट्राइक,पटेल प्रतिमा,पाकिस्तान को विश्व से अलग थलग करना, बुलेट ट्रेन, तीन तलाक, एनआईए
बिल के बाद और सबसे बड़ा काम धारा 370 हटाना और राम मंदिर में आए फैसले
अन्तर्राष्टीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व क्षमता को ख्याति प्राप्त हो रही है। अभी केन्द्र
सरकार की प्राथमिकता पर कॉमन सिविल कोड, जनसंख्या नियंत्रण बिल शामिल है। लेकिन
इसे पूर्व मोदी सरकार की सर्जिकल स्ट्राईक भ्रष्ट अफसरो पर होने जा रही है। यह सर्जिकल एक
माह के अन्दर भारत में एक साथ दिखाई पड़ेगी। माना यह जा रहा है कि आयकर विभाग की
छापामारी के साथ के आईएएस संवर्ग के सो से अधिक अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले
अभियोजन दायर करने की मंजूरी मांगना मोदी की सर्जिकल स्ट्राईक का संकेत है।ज्ञात हो कि
केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) केंद्र सरकार के करीब 100 कर्मचारियों के खिलाफ
भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन दायर करने की मंजूरी के लिए चार माह से अधिक का
इंतजार कर रहा है. इनमें कई भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी हैं।
नियमों के तहत भ्रष्टाचार के आरोपी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन के लिए
चार महीने में मंजूरी दी जानी होती है। सीवीसी के अनुसार, उसे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो
(सीबीआई) तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दायर
करने की मंजूरी मिलने में देरी हो रही है। सीवीसी के ताजा आंकड़ों के अनुसार, कुल 51
मामलों में कम से कम 97 अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाया जाना है. इनमें से सबसे अधिक
आठ मामले भ्रष्टाचार रोधक मामलों में नोडल प्राधिकरण कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के
पास लंबित हैं. इसी तरह कॉरपोरेशन बैंक के पास भी आठ मामले लंबित हैं. सीवीसी ने कहा
कि उत्तर प्रदेश सरकार से छह अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाने की मंजूरी नहीं
मिली है।सीवीसी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु की
सरकारों ने भी चार महीने के निर्धारित समय में कथित रूप से भ्रष्टाचार में शामिल
अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति नहीं दी है। इस मामलें में पीएम कार्यालय में जो मंथन
चल रहा है उसके अनुसार किसी भी समय केन्द्रीय सतर्कता आयोग को मंजूरी मिल सकती हैै।
उधर भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी मुहिम का नजरिया गत केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी)
ने हवाला धंधे में लगे गिरोह का पर्दाफाश कर किया है।। सीबीडीटी के मुताबिक, आयकर
विभाग ने 3,300 करोड़ रुपये के गैरकानूनी हवाला धंधे में लगे गिरोह का भांडाफोड़
किया है। गिरोह का नेटवर्क दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद जैसे शहरों में फैला हुआ
था। इसका संबंध बुनियादी संरचना क्षेत्र में कारोबार करने वाले कई शीर्ष
कॉरपोरेट घरानों से है।सीबीडीटी ने एक बयान में कहा कि टैक्स चोरी के इस
बड़े खेल को उजागर करने के लिए दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, इरोड, पुणे, आगरा और
गोवा में 42 परिसरों पर इस महीने के पहले सप्ताह में छापेमारी की गई थी। इसमें बुनियादी


संरचना के शीर्ष कॉरपोरेट घरानों की ओर से फर्जी अनुबंधों और बिलों के जरिए
टैक्स चोरी के बड़े रैकेट का पता चला है। हालांकि सीबीडीटी ने उन निकायों के
नाम नहीं बताए जिनके परिसरों पर छापेमारी की गई लेकिन इतना तय है कि फिलहाल मोदी
सरकार अपनी तय रणनीति के अनुसार अगला निशाना भ्रष्टों पर लगाए है। सीबीडीटी ने
दावा किया था कि सार्वजनिक बुनियादी संरचनाओं पर खर्च की जाने वाली राशि का एंट्री
ऑपरेटरों, लॉबी करने वालों और हवाला डीलरों के जरिये हेर-फेर किया
गया। इस बयान में कहा गया कि पैसों का हेर-फेर करने में शामिल कंपनियां मुख्य तौर
पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और मुंबई में स्थित हैं। सीबीडीटी ने कहा कि जिन
परियोजनाओं की राशि का हेर-फेर किया गया वे प्रमुख बुनियादी संरचना और
आर्थिक तौर पिछड़ी श्रेणी से जुड़ी परियोजनाएं हैं। छापेमारी में आंध्र प्रदेश के एक
नामी गिरामी शख्स को 150 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान करने के भी सबूत मिले हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों के आधार पर राज्यों के मुख्यमंत्री स्तर पर इस बॉत
का स्पष्ट निर्देश है कि वह अपने राज्यों में भ्रष्ट नौकरशाहों और उनकी बेनामी सम्पत्ति की
जानकारी एकत्रित कर उसे केन्द्र से साझा करे ताकि एक साथ भ्रष्टों के खिलाफ बड़ी
कार्रवाई की जा सके। मोदी सरकार ने नौकरशाही को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के
लिए जो अगला कदम उठाया है उसके अनुसार पीएमओं कार्यालय ने सरकारी विभागों से उन
अधिकारियों की सूची तलब की जो राजशाही ठाटबाट के आदि तथा भ्रष्ट है। उसी कड़ी में
सरकार ने अभी तक आयकर विभाग सहित कई अन्य विभागों के भ्रष्ट और संदिग्ध, दागी अफसरों को
जबरन घर बिठा दिया। लेकिन यह कार्रवाई ऊट के मुंह में जीरा साबित हो रही है।
क्योकि इस कार्यवाही के बावजूद भ्रष्टचार पर लगाम नही लग पर रही है। लगातार
शिकायतें बढ़ रही है। नौकरशाहों के रिसोर्ट, अलीशान कोठियों, फामहाउस, बेनामी
कम्पनियों में हिस्सें दारी के चर्च अभी भी आम है। प्रधानमंत्री कार्यालय के संज्ञान में यह भी
आया है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ पहले से भ्रष्टाचार की शिकायते थी उनमें और
इजाफा हो रहा है और उनका पद भी बढ़ गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्र बताते है कि
ऐसे संदिग्ध लगभग 1000 से अधिक अधिकारियों की जॉच की जा रही है। अगर हम यह मान ले कि ये
अफसर आईएएस और आईपीएस स्तर के है तो यह संख्या वाकई कम है। इसके बाद नम्बर आता है
केन्द्रीय और राजकीय सेवा में कार्यरत इंजीनियर्स संवर्ग, टैक्स संवर्ग, स्वास्थ सेवा संवर्ग
और पॉवर सेक्टर से जुड़े भ्रष्ट अधिकारियों की लम्बी फेहरिस्त है। ऐसे में अगर यह
माना जाए कि इन सबकी सूचना राज्यों से केन्द्र सरकार को समय पर उपलब्ध हो जाती है। तो
निश्चित मानिए कि भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए मोदी की अगली स्ट्राईक विश्व पटल में भ्रष्टाचार
के लिए विख्यात हो चुके भारत के लिए नाजीर बनेगी। हालांकि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए
राज्य स्तर पर सरकारें बहुत सक्रिय नजर नही आ रही है लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री
कार्यालय में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की सुगबुगाहट चल रही है उसके
कारणा राज्य सरकारों को इस मुहिम में अपनी जिम्मेदारी सुनिश्चित करनी ही होगी।