lहिन्दी विज्ञान लेखन के विविध आयाम विषय पर राष्ट्रीय हिन्दी विज्ञान लेखक सम्मेलन एवं परिसवाद - 2019 का आयोजन उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान , लखनऊ , डॉ . शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय पार एवं सूचना सोत संपणान , नई दिल्ली एवं इंडियन साइंपा कागनिकेशन सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष मा० हृदय नारायण दीक्षित ने हिन्दी विज्ञान लेखन के विविध आयामों पर प्रकाश प्रति स्वाभाविक सम्मान एवं जनमानस के व्यवहार की भाषा बनाये जाने पर बल दिया । उन्होने भारत के संविधान के निर्माण के समय की चर्चा करते हुये कहा कि संविधान बनते समय सविधान सभा महिन्दा का लेकर बहुत सा पाए ही हम सभी भारतीयों को सभा की कार्यवाही का एक - एक अश पढ़ना एक माह की कार्यवाही का एक - एक अंश पढ़ना एवं जानना चाहिये । हमार । यहा हिन्दी में विज्ञान विषयों पर लेखन कम हआ है पिछले लगभग बीस वषों में जागरूकता बका आ है पिछले लगभग बीस वर्षों में जागरूकता बढ़ी है परन्तु और अधिक जागरूकता का आवश्यकताका विज्ञान एक निपजाकि किसी भी विषय का आभव्यावतका लखन प्राचीनकाल से ही भारतीय साहित्य में उपलब्ध है । हमें उससे प्रेरणा लेते हुये और अधिक आगे बढ़ाने की आवश्यकता है । उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान लखनऊ के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ० राज नारायण शुक्ल ने कहा कि यह कार्यक्रम अन्य कार्यक्रमों से भिन्न है तथा हिन्दी , क्षेत्रीय भाषाआवशाल क समन्वय का अनूठा प्रयास है । इस प्रकार के आयोजन से हिन्दी तथा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं का विज्ञान सजाडनमा मदद मिलेगी । कार्यक्रम संयोजक एवं राजभाषा सलाहकार , मानव संसाधन विकास मंत्रालय , भारत सरकार के राजभाषा सलाहकार प्रा० योगेन्द्र प्रताप सिंहने कहा कि भाषाओं में मौलिक विशाखाका आवश्यकता एवं प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला । उन्होंने हिन्दी भाषा के प्रयोग को बढ़ाने पर बल दिया तथा अन्य देशा की । भांति भारत में भी अनुसंधानों आदि में हिन्दी के उपयोग को बढ़ाने का समर्थन किया । भारतीय विज्ञान संचार एवं सूचना स्रोत संस्थान , नई दिल्ली के निदेशक डॉ0 मनोज कुमार पटैरिया ने बीज वक्तव्य प्रस्तुत करते हुये कहा कि बड़े - बड़े अनुसंधानों के साथ छाडे - घाटे अनुसंधान भी बहुत महत्वपूर्ण हैं । छोटे - छोटे वैज्ञानिक दृष्टिकोप व्यवस्था को बदल को सकते हैं । हिन्दी में विज्ञान के क्षेत्र में लेखन का कार्य लगभग दो सौ वर्ष पूर्व आरम्भ हुआ था जिसमें उत्तरोत्तर उन्नति देखने को मिल रही है । विज्ञान लेखन का विषय सीमित दायरे से निकलकर जन सामान्य का विषय बन रहा है , हिन्दी विज्ञान लेखन भारत का माटी से जुड़ा विषय है । जन सामान्य स्तर पर इसका प्रयोग भारत में प्राचीन काल से होता रहा है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल देव ने कहा कि जिस भाषा की मांग नहीं होती है उसको कालान्तर में अपने अस्तित्व को बचाने के लिये अत्यंत संघर्ष करना पड़ता है । सोशल मीडिया के इस यग में । हिन्दी एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के अस्तित्व पर संकट पर मड़ रहा है । अतः इन्हें समुन्नत एवं समद्ध करने की आवश्यकता है । भारत में हिन्दी में लेखन होने के बावजूद उसक उपयोग में निरन्तर कमी देखने लो मिल रही है . हिन्दी को जन मानस की बोली क साथ ज्ञान का भाषा बनाना जरूराहाहन्दा का समृद्ध मही भारतीय सभ्यता , संस्कृति व समाज का उन्नयन निहित है । इस अवसर पर वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय जौनपुर के कुलपति प्रो० राजाराम यादव ने कहा कि अपनी गातभाषा को आगे ले जाने के लिये हमारी इच्छा शक्ति क्या हो तथा उसके प्रति हम कितने ईमानदार है। वहीं इस मौके पर शकुन्तल मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो . राणा कृष्ण पाल सिंह ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन द्वारा हिन्दी एवं विज्ञान क समन्वय को बल मिलेगा तथा भारतीय भाषाओं में । विज्ञान सहज , सरल व ग्राहय होगा तथा विद्याथिया एवं शोधाथिया के मालिक चिन्तन को बढ़ावा मिलेगा । उन्होंने वैज्ञानिकों को हिन्दी में वैज्ञानिक अनुसंधाना हेतु प्रोत्साहन देने तथा पुरस्कृत करने की आवश्यकता व्यक्त की । संगोष्ठी समन्वयक डॉ० वीरेन्द्र सिंह यादव ने अतिथियों एवं प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया । मातृभाषा और विज्ञान संचार सम्भाषण सत्र की अध्यक्षता प्रा० अनीता गोपेश ने की तथा डा० पुनीत विसारिया ने किया । सी . डी . आर . आई . लखनऊ के पूर्व उपनिदेशक डॉ० प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने साइंदन के माध्यम से मनोरंजक एवं लोकप्रिय विज्ञान सम्प्रेषण प्रस्तुत किया । समानान्तर नन में इण्डियन साइंस कम्युनिकेशन सोसाइटी लखनऊ द्वारा विज्ञान पुतुल नाट्य प्रस्तुति हुयी । तथा डॉ० मनोज कुमार पटेरिया के संयोजन में पोस्टर सैशन का आयोजन हुआ । श्री पंकज प्रसून के संयोजकत्व में विज्ञान कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ ।
राष्ट्रीय हिन्दी विज्ञान लेखक सम्मेलन