नई दिल्ली। अयोध्या रामजन्मभूमि विवाद मामले में मूल वादी एम. सिद्दीकी के कानूनी वारिस की
ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक पुनर्विचार याचिका आज दाखिल की गई। याचिका में मांग की
गई कि संविधान पीठ के आदेश पर रोक लगाई जाए, जिसमें कोर्ट ने नौ नवंबर को विवादित
जमीन का फैसला राम मंदिर के पक्ष में सुनाया था। याचिका में कहा गया है कि शीर्ष
अदालत ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 14 प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया मुस्लिम
पक्षकारों ने भी शीर्ष अदालत के फैसले के 14 निष्कर्षों को चुनौती नहीं दी। इसके अलावा
याचिका में कहा गया है कि संवैधानिक फैसले से सुप्रीम कोर्ट ने प्रभावी रूप से बाबरी
मस्जिद को नष्ट करने और भगवान राम के मंदिर का निर्माण करने की अनुमति दी है।मूल
वादी सिद्दीकी की ओर से मौलाना सैयद अशद रशीदी ने शीर्ष अदालत में अयोध्या फैसले पर
समीक्षा याचिका दायर की है।याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1934, 1949 और
1992 में मुस्लिम समुदाय के साथ हुई नाइंसाफी को गैरकानूनी करार दिया, लेकिन उसे
नजरअंदाज भी कर दिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह इस मुद्दे की संवेदनशील प्रकृति के प्रति
सचेत है और विवाद में इस मुद्दे पर चुप रहने की आवश्यकता को भी समझते हैं, ताकि हमारे
देश में शांति और सद्भाव बना रहे। इस दौरान हालांकि यह भी कहा गया कि न्याय के बिना
शांति नहीं हो सकती।याचिका में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की समीक्षा करने की मांग की
गई है।
अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष ने पुनर्विचार याचिका दायर की