लखनऊ। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने का तरीका सही नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रारम्भ में वहां के राज्यपाल ने जो प्रक्रिया प्रारम्भ की थी वो पूरी तरह से सही थी। तीसरी सबसे बड़ी पार्टी का समय आज रात आठ बजे खत्म होना था लेकिन गवर्नर ने पहले ही राष्ट्रपति शासन के लिए पत्र लिख दिया जो अनुचित है। उनके इस कदम से ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के दबाव में गवर्नर द्वारा ये फैसला लिया गया है। जो पूरी तरह से अनुचित है।
लखनऊ पहुंचे दिग्विजय ने पत्रकारों से कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना के साथ वादा खिलाफी की है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रहे है। अब वहां खरीद फरोख्त शुरू होगी। शिवसेना और कांग्रेस पार्टी के विचार नहीं मिलते है लेकिन अब शिवसेना में बदलाव आ रहा है। अयोध्या के मुद्दे पर भी दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर इशारों-इशारों में निशाना भी साधा। कहा, काफी समय से यह विवाद चल रहा था लेकिन राम जन्मभूमि की याद उन्हें तब आई जब उनके दो सांसद थे। कांग्रेस अदालत के फैसले का सम्मान करती है। वर्ष 1949 और 1992 कि घटना को कोर्ट ने अपराध
माना है इस पर भी फैसला जल्दी होना चाहिए। वे प्रधानमंत्री से अनुरोध करेंगे कि अब रोजगार पर भी चर्चा होनी चाहिए। बीएसएन्एल के कर्मचारी वीआरएस ले रहे हैं। एककर्मचारी को वेतन नहीं मिला और उसने आत्महत्या कर ली।
श्री सिंह ने कहा कि बीजेपी की रणनीति कर्मचारी और मजदूर विरोधी है। सरकारी संस्था को प्राइवेट हाथों में बेच जा रहा है। कारपोरेट घरानों का आठ हजार करोड़ माफ किया गया है जिससे देश की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है। अयोध्या पर आए फैसले का कांग्रेस नेता ने स्वागत किया, लेकिन इसके आगामी राजनीतिक प्रभाव के सवाल पर बोले कि प्रधानमंत्री ने हिंदू-मुसलमान, हिंदुस्तान-पाकिस्तान, तीन तलाक, अनुच्छेद 370 बहुत कर लिया। मेरा अनुरोध है कि अब बेरोजगारी पर
ध्यान दें। भाजपा सरकार मजदूर विरोधी है। नेहरू जी ने जो सरकारी संस्थाएं स्थापित की थीं, उन्हें निजी हाथों में बेचा जा रहा है। सूट-बूट की सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था चौपट कर दी।