जनादेश का संदेश

महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव नतीजे एक बार फिर यह कह रहे हैं कि विधानसभा
चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दे कभी-कभार ही कारगर होते हैं। राज्य स्तर के चुनावों में एक
बड़ी भूमिका क्षेत्रीय मसलों की होती है। जाति-बिरादरी भी अपना असर दिखाती है। यही
कारण रहा कि चंद माह पहले लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र और हरियाणा में
जोरदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा इन राज्यों में अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं
कर सकी। महाराष्ट्र में उसे जितनी सीटों की उम्मीद थी, उतनी नहीं मिल सकीं और हरियाणा
में वह 75 पार के अपने लक्ष्य के करीब जाना तो दूर रहा, बहुमत तक भी नहीं पहुंच पाई। ऐसा
क्यों हुआ, इसकी तह तक जाने के क्रम में भाजपा नेतृत्व को यह अवश्य देखना चाहिए कि जब खेती
संकट में हो, रोजगार का सवाल गंभीर होता जा रहा हो और आर्थिक मंदी का माहौल लोगों
की चिंताएं बढ़ा रहा हो, तब फिर राष्ट्रीय मसले उसकी नैया पार नहीं करा सकते। यह सही है
कि महाराष्ट्र में भाजपा इस बार पिछली बार के मुकाबले कहीं कम सीटों पर चुनाव लड़ी
थी, लेकिन उसका मौजूदा संख्याबल इतना नहीं कि वह शिवसेना के अनुचित दबाव का प्रतिकार कर
सके। अगर शिवसेना के साथ खींचतान बढ़ी तो इसका असर सरकार के कामकाज पर पड़ सकता
है।
अगर महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा को मन मुताबिक नतीजे नहीं हासिल हो सके और
उसके कई दिग्गज मंत्री भी चुनाव हार गए तो इसका एक अर्थ यह भी है कि लोगों को अपनी सरकारों
से जो अपेक्षाएं थी, वे सही तरह पूरी नहीं हुईं। नि:संदेह यह भी दिख रहा है कि मतदाताओं ने
विपक्षी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोपों को अधिक महत्व नहीं दिया। इसकी एक वजह जातीय
समीकरणों की भूमिका भी हो सकती है। यह सही है कि भारत सरीखे देश में केंद्र हो या राज्य
सरकारें, वे न तो सबको संतुष्ट कर सकती हैं और न ही पांच साल में सभी समस्याओं को हल कर
सकती हैं, लेकिन उन्हें इस तरह तो काम करना ही चाहिए कि उनमें जनता का भरोसा बढ़े। कम से
कम हरियाणा में तो ऐसा होता नहीं दिखा। बेहतर हो कि भाजपा नेतृत्व अपनी राज्य
सरकारों के कामकाज की समीक्षा करे। वह इसकी अनदेखी नहीं कर सकता कि तमाम
कमजोरियों के बाद भी विपक्ष अपनी जमीन मजबूत करता दिख रहा है। विपक्ष और अधिक मजबूती
हासिल कर सकता था, यदि कांग्रेस दिशाहीनता से मुक्त होकर अन्य विपक्षी दलों का सही तरह
नेतृत्व कर रही होती। जो भी हो, यह अच्छा है कि विपक्ष महाराष्ट्र और हरियाणा में
सत्तापक्ष को चुनौती देता और उसे आगाह करता दिखा।