हम गवां रहे ब-सजय़ती जनसंख्या का सुनहरा अवसर

पंद्रह से पैंसठ व-ुनवजर्या की आयु के लोगों को -रु39यउत्पादक-रु39य अथवा -रु39यकर्मी-रु39य माना जाता है। ये किसी न किसी रूप में उत्पादन
करके अपना जीवनयापन करते हैं। इसके इतर पन्द्रह व-ुनवजर्या से छोटे बच्चे और पैंसठ व-ुनवजर्या से बड़े वृद्ध लोगों को
-रु39यअवलंबित-रु39य माना जाता है। इन्हें -रु39यअनुत्पादक-रु39य मन जाता है। ये कर्मियों पर अवलंबित होते हैं। कर्मियों और
अवलंबित लोगों के अनुपात को -रु39यअवलंबन अनुपात-रु39य कहा जाता है। जैसे यदि अवलंबित जनसंख्या 100 हो और कर्मी 200
हों तो अनुपात 0.5 होगा। इसके विपरीत यदि अवलंबित जनसंख्या 200 हो और कर्मी 100 हों तो अनुपात 2.0 होगा।
अवलंबन अनुपात न्यून होने का अर्थ है कि कर्मियों को अवलम्बियों पर कम खर्च करना होता है जिस कारण उनके पास
अन्य कार्य जैसे बच्चों की -िरु39याक्षा अथवा -रु39योयर बाजार और प्रॉपर्टी में निवे-रु39या करने के लिए रकम उपलब्ध हो जाती है।
इसके विपरीत अवलंबन अनुपात ऊंचा होने का अर्थ है कि कर्मियों को अवलम्बियों पर अधिक खर्च करना होता है और
अन्य कार्यों के लिए उनके पास रकम नहीं बचती है।
स्वतंत्रता के बाद मेडिकल साइंस में सुधार हुआ। अपने दे-रु39या में बाल मृत्यु दर में भारी गिरावट आई। मलेरिया
जैसी बीमारियों पर हमने नियंत्रण पाया। इस कारण बच्चों की संख्या तेजी से ब-सजय़ी। उस समय परिवार में चार या छरू बच्चे
होना आम बात थी। उस समय अवलंबित जनसंख्या ब-सजय़ी और कर्मियों की संख्या पूर्ववत रही जिससे अवलंबन अनुपात में
भारी वृद्धि हुई। एक दंपत्ति के अगर 6 बच्चे हों तो अवलंबन अनुपात 6ध्2 अर्थात 3 हो जाता है। इसके बाद, ये
बड़ी संख्या में पैदा हुए बच्चे बड़े हो गए जैसी आज की परिस्थिति है। इन युवाओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई
क्योंकि पूर्व में जो अधिक संख्या में बच्चे पैदा हुए वे आज युवा हो गए हैं। साथ-ंउचयसाथ जनसंख्या नियंत्रण के प्रचार
के कारण बाल जन्म दर में कमी आई है। आज तमाम दंपत्ति एक या दो संतान पैदा कर रही है। इस कारण अवलंबियों की
संख्या में गिरावट आई। एक दंपत्ति के अगर एक बच्चा हो तो अवलंबन अनुपात 0.5 हो जाता है। इस प्रकार अवलंबन
अनुपात गिरा। इसका अर्थ यह हुआ की हर कर्मी के ऊपर आश्रित लोगों की संख्या में गिरावट आई है। आज का कर्मी यदि
धन कमा कर घर लाता है तो उसे अधिक संख्या में बच्चों अथवा वृद्धों का पालन नहीं करना होता है क्योंकि परिवार


नियोजन के चलते बच्चों की संख्या में गिरावट आई है। आज कर्मी के पास धन उपलब्ध है जिससे वह -िरु39याक्षा अथवा
प्रॉपर्टी में निवे-रु39या कर सकता है। आने वाले समय में परिस्थिति पुनः पलट जायेगी। कर्मियों की संख्या घटेगी क्योंकि
आज के कर्मी कम संख्या में बच्चे पैदा कर रहे हैं। लेकिन फिर भी अवलम्बियों की संख्या में वृद्धि होगी क्योंकि आज
के बड़ी संख्या के कर्मी पैंसठ व-ुनवजर्या से बड़े होकर बड़ी संख्या में वृद्ध हो जायेंगे। वृद्धों की संख्या में वृद्धि
होगी जबकि कर्मियों की संख्या घटेगी। इसलिए कर्मियों पर वृद्धों का बो-हजय ब-सजय़ेगा और अवलंबन अनुपात पुनरू ब-सजय़
जाएगा। इससे स्प-ुनवजयट है कि आज से पहले अवलंबन अनुपात अधिक था क्योंकि बच्चों की संख्या अधिक थी। वर्तमान में
अवलंबन अनुपात कम है क्योंकि बच्चों की संख्या कम है। और भवि-ुनवजयय में अवलंबन अनुपात फिर से ब-सजय़ जाएगा क्योंकि
वृद्धों की संख्या ब-सजय़ जायेगी। यानि अवलंबन अनुपात एक लहर की तरह चलता है। पहले बच्चों की संख्या ब-सजय़ी और लहर पैदा
हुई। उसके बाड़ कर्मियों की संख्या ब-सजय़ी और लहर आगे चली। इसके बाद वृद्धों की संख्या ब-सजय़ी लहर जब लहर और
आगे चली और समाप्त हो गई। इन तीनों में बीच का समय काल हमारे लिए वि-रु39यो-ुनवजया कर लाभप्रद है। वर्तमान में
कर्मियों की संख्या अधिक और बच्चों और वृद्धों की संख्या तुलना में कम है। इस वि-रु39यो-ुनवजया समय का हम यदि सदुपयोग कर
लें तो दे-रु39या को भारी लाभ होगा। यदि आज के कर्मी उत्पादक कार्यों में लग सकें या उन्हें रोजगार मिले
अर्थात ये खेती करें या नौकरी करें तो वे दे-रु39या की आय में या जीडीपी को ब-सजय़ने में सहयोग करेंगे और दे-रु39या की
आय ब-सजय़ेगी। उनकी परिवार की भी आय ब-सजय़ेगी। जैसे एक परिवार में साठ व-ुनवजर्या के पिता और पैंतीस व-ुनवजर्या के युवा
दोनों उत्पादन में दुकान चलाते हों तो दूकान की आय ब-सजय़ जायेगी। साथ-ंउचयसाथ घर खर्च भी बचता है।
क्योंकि आज बच्चों की संख्या कम है इसलिए उनकी फीस आदि देने का बो-हजय परिवार में कम होता है। इसलिए परिवार द्वारा
बचत भी ज्यादा की जा सकती है। यह स्वर्णिम परिस्थिति है लेकिन यह तब तक ही बरकरार रहेगी जब तक आज के पंद्रह से पैंसठ
व-ुनवजर्या के कर्मी को रोजगार मिले और वे उत्पादन में अपना सहयोग कर सकें। यदि आज के कर्मियों को रोजगार नहीं
मिलेगा तो परिस्थिति पूरी तरह पलट जायेगी। तब परिवार हर तरह से पस्त हो जाएगा। तब परिवार में बच्चों की संख्या कम होगी।
लेकिन जो युवा हैं वे भी अवलंबित हो जायेंगे क्योंकि वे बेरोजगार हैं और वृद्ध पहले ही अवलंबित थे। इस प्रकार
पूरा परिवार अवलंबित लोगों का हो जाएगा और परिवार की जीवनयापन कठिन हो जाएगा। परिवार न तो बचत कर पायेगा न ही
निवे-रु39या, साथ-ंउचयसाथ युवा बेरोजगारी के कारण असामाजिक कार्यों में लिप्त हो सकते हैं। अतरू वर्तमान में अवलंबन
अनुपात के कम होने का जो स्वर्णिम समय है यह स्वर्णिम तभी तक रहेगा जब तक हम कर्मियों को रोजगार उपलब्ध करा
सकें। वर्तमान स्थिति निरा-रु39यााजनक है। ने-रु39यानल सैंपल सर्वे द्वारा किये गए अध्ययन में पाया गया कि 2013 से 2018 के पांच
व-ुनवजर्याों में 2 करोड़ रोजगार घटे हैं। जहां भारी संख्या में युवा श्रम करने को उद्यत हैं, उन्हें रोजगार देने
के लिए रोजगारों में वृद्धि होनी चाहिए, इसके विपरीत रोजगार में 2 करोड़ की गिरावट आई है। रपट में यह भी
बताया गया है कि वर्तमान में बेरोजगारी दर पिछले छरू व-ुनवजर्याों के अधिकतम स्तर पर है। यानि वर्तमान में जो अवलंबन
अनुपात के गिरने का लाभ था उसका हम उपयोग नहीं कर पा रहे हैं और यह हमारे लिए अभि-रु39यााप बनता जा रहा है
क्योंकि जो युवा को रोजगार उपलब्ध नहीं है। इस समय जरूरत है कि दे-रु39या की अर्थव्यवस्था की दि-रु39याा मूल रूप से बदली
जाय।हमारा वर्तमान में प्रयास है कि हम पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बने। यह अच्छी बात है लेकिन हम वहां
तभी पहुंच पायेंगे जब हम अपने युवाओं को रोजगार उपलब्ध करा सकेंगे। यदि हम अपने युवाओं को रोजगार
उपलब्ध नहीं करा पाए तो न तो हम वहां पहुंच पायेंगे बल्कि साथ-ंउचयसाथ दे-रु39या की परिस्थिति में बिगाड़ आएगा। अतरू
वर्तमान में दे-रु39या की अर्थव्यवस्था का मूल्यांकन करने के लिए हमें जीडीपी या आय का मापदंड लागू करने के स्थान
पर रोजगार का मापदंड लागू करना चाहिए। यह देखना चाहिए कि कितने लोग रोजगार में लिप्त हैं जिससे कि ये लोग अपने
परिवार पर बो-हजय न बने और असामाजिक कार्यों में लिप्त न हों।