गहरी समझ का उपकरण है, शिक्षा

वैश्विक संस्कृति व्यापार और तकनीक के साथ-साथ राजनैतिक शक्ति के बहुविध दबावों के बल
पर आगे बढ़ रही है, जबकि स्थानीय संस्कृतियों और ज्ञान को ऐसा आश्रय मिलना संभव नहीं
है। इसलिए इस ओर ध्यान देने की जरूरत ज्यादा है। यदि शिक्षा को समग्र दृष्टि से विकसित करने
का गंभीर प्रयास आरंभ हो तो छात्र शक्ति को इस दिशा में सक्रिय करके जीवन की वास्तविक
समस्याओं से उनको रूबरू करवाने के साथ जीवन से जुड़ी समस्याओं से निपटने और जीवन
को ज्यादा सुखी एवं आनंददायक बनाने के लिए सक्षम किया जा सकता है। शिक्षा का कार्य मनुष्य
की बुद्धि में प्रसुप्त ज्ञान को उद्घाटित करना होता है। आप शून्य से कुछ पैदा नहीं कर सकते।
प्रसुप्त ज्ञान का उद्घाटन विषय के प्रस्तुतिकरण और अभ्यास से संभव होता है। शिक्षा का अर्थ
है, मनुष्य का अपने और अपने समाज के जीवन को सुचारू रूप से चलाने की योग्यता हासिल
करना। इसके लिए एक ओर जहां मानव को रोजी-रोटी कमाने के योग्य बनना है तो दूसरी
ओर जीवन में सुख-शांति-समृद्धि कैसे आ सके, यह भी समझना है। प्रकृति और उसके
कार्यकलापों के पीछे के विज्ञान को समझना है तो आज तक मनुष्य जाति ने अनुभव और
वैज्ञानिक समझ से जो ज्ञान संचित किया है, उसको भी जानना है। वैश्विक संस्कृति के साथ-साथ
अपनी स्थानीय संस्कृति को भी जानना-समझना है। वैश्विक संस्कृति जहां आपस के संबंधों के
आधार पर संपर्कों को अपनत्व प्रदान करती है, वहीं स्थानीय संस्कृतियां विविधता के गुणों को
संरक्षित करती हैं। विविधता चाहे प्रकृति की हो या संस्कृतियों की, मनुष्य समाज को समस्या के
समय विकल्प प्रदान करवाती है। यही कारण है कि विविधता को जीवनतंत्र के प्रचालन और
टिकाऊपन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। समय के साथ ऐतिहासिक उपलब्धियों और
गलतियों पर धूल पड़ जाती है, उसे झाड़-पोंछकर जानना है, ताकि उपलब्धियों से सीख सकें और
गलतियों से भविष्य के लिए सावधान हो सकें। बहुत-सा ज्ञान हमारी पुरातात्विक धरोहरों
और मौखिक परंपराओं में छिपा रहता है, यदि उसे बचाया न जाए तो वह नष्ट हो जाता है।
उदाहरण के लिए हमारे संस्कार गीत, नृत्य शैलियां, कृषि से जुड़ी सामूहिक रूप से काम
करने की परंपराएं, जड़ी-बूटी का ज्ञान और जड़ी-बूटियों से इलाज की


जानकारियां, ऐसे स्थानीय लोगों के बारे में जानकारियां जिन्होंने समाज के लिए अपने
हितों का बलिदान करके शिक्षा के सही उद्देश्य की पूर्ति की है। ऐसे कितने ही क्षेत्र हैं
जिनकी संभाल करने का कार्य नहीं किया गया तो वह ज्ञान लुप्त ही हो जाएगा। हिमाचल की
समुदाय प्रबंधित कूहल सिंचाई व्यवस्थाएं कारगर और कुशलथीं, जो अब लुप्त हो रही हैं। ऐसे
बदलावों को समझना, उनके सकारात्मक-नकारात्मक प्रभावों को समझना, समस्याओं से दो-
चार होने की सामथ्र्य देता है। आने वाले जीवन संघर्ष के लिए इस तरह की विश्लेषणात्मक
समझ महत्वपूर्ण है, जिसका विकास शिक्षा द्वारा होना चाहिए।
वैश्विक संस्कृति व्यापार और तकनीक के साथ-साथ राजनैतिक शक्ति के बहुविध दबावों के बल
पर आगे बढ़ रही है, जबकि स्थानीय संस्कृतियों और ज्ञान को ऐसा आश्रय मिलना संभव नहीं
है। इसलिए इस ओर ध्यान देने की जरूरत ज्यादा है। यदि शिक्षा को समग्र दृष्टि से विकसित करने
का गंभीर प्रयास आरंभ हो तो छात्र शक्ति को इस दिशा में सक्रिय करके जीवन की वास्तविक
समस्याओं से उनको रूबरू करवाने के साथ जीवन से जुड़ी समस्याओं से निपटने और जीवन
को ज्यादा सुखी एवं आनंददायक बनाने के लिए सक्षम किया जा सकता है। विकास की अवधारणाएं
भी अनुभव के साथ बदल रही हैं। पहले जो सबसे ज्यादा ऊर्जा का उपयोग करे, उसी को ज्यादा
विकसित माना जाता था। आजकल प्रसन्नता सूचकांक का प्रयोग विकास मापने के लिए किया जाने
लगा है।
बाहुल्य को विकास मानने के बजाय टिकाऊपन को विकास की बेहतर कसौटी माना जाने
लगा है। इन बदलती मूल अवधारणाओं को समझना, उनके साथ तालमेल बिठाकर जीवन संघर्ष
का सामना करना एक सक्षम समाज निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। पाठशाला स्तर से ही, कम-
से-कम मेट्रिक या माध्यमिक स्तर से यदि छात्रों को शोध-कार्य से जोड़ा जाए तो इस दिशा में
आगे बढ़ा जा सकता है।
स्थानीय स्तर पर पुरातात्विक महत्व के स्थलों के इतिहास पर शोध, सामाजिक, सांस्कृतिक
परंपराओं का समाज में अध्ययन, आर्थिक व्यवस्थाओं का विश्लेषणात्मक अध्ययन, स्थानीय
पर्यावरण, जैव-विविधता, स्थानीय जड़ी-बूटियों के गुण-धर्मों का अध्ययन और उन
जानकारियों का संकलन कार्य यदि छात्र करें तो बहुत सा ज्ञान नष्ट होने से बचेगा और
छात्र सारा जीवन काम आने वाला अनुभव प्राप्त कर सकेंगे। स्थानीय सामाजिक-आर्थिक
इतिहास और ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के सामाजिक महत्व के कार्यों का संग्रह किया जा सकता है।
इस शोध कार्य को माध्यमिक स्तर पर कक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण-पत्र प्राप्त करने
का अंतिम जरूरी कार्य घोषित किया जाए। इससे ज्ञान का बड़ा भण्डार एकत्र हो जाएगा जो
अन्यथा नष्ट होने वाला है। यह चिंतनशील नागरिक पैदा करने की दिशा में उठाया जाने
वाला बड़ा कदम सिद्ध होगा जो शिक्षा और समाज की दिशा व दशा बदल कर शिक्षा को रोचक
और उपयोगी बनाने का महत्वपूर्ण कार्य करेगा।
(लेखक स्वतंत्र लेखक, हिमालय नीति अभियान के अध्यक्ष हैं।)