लखनऊ।गुरुद्वारा यहियागंज में दीपावली एवं बंदी छोड़ दिवस बड़ी धूमधाम व श्रद्धा से मनाया गया।
गुरुद्वारा सचिव मनमोहन हैप्पी ने बताया कि गुरुद्वारा साहिब मे विशेष फूलों एवं लाइटों से सजावट की गई थी। सिख धर्म में दीपावली के दिन को 'बंदी छोड़ दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेषतौर पर धार्मिक समागम किए जाते हैं। इस दिन को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।क्योंकि इस दिन बुराई पर सच्चाई की जीत हुई थी।इस दिन मीरी पीरी के मालिक छठे पातशाह ' गुरु हरगोविंद साहिब' को जब मुगल शासक जहांगीर ने गिरफ्तार किया था, तब गुरु साहिब ने रिहाई के वक्त अपने साथ 52 अन्य राजाओं को भी रिहा करवाया था। इन राजाओं की रिहाई के लिए भाई हरिदास ने एक ऐसा चोला तैयार करवाया जिसमें 52 कलियां थी। जिसके बाद हर एक राजा ने एक कली पकड़ी और किले से बाहर आ गए। जिसके चलते गुरु साहिब को बंदी छोड़ दाता कहा गया है और इस रिहाई वाले दिन को ही 'बंदी छोड़ दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
इस अवसर पर हेड ग्रंथी ज्ञानी परमजीत सिंह ने इस दिन के ऐतिहासिक महत्व से अवगत कराया एवं भाई गुरमीत सिंह व भाई वीर सिंह ने शबद कीर्तन द्वारा संगतों को निहाल किया।गुरुद्वारा साहिब में मिष्ठान प्रसाद वितरित किया गया। वहीं दीपावली एवं बंदी छोड़ दिवस के मौके पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु गुरुद्वारे में नतमस्तक होने के लिए पहुंचे।
गुरुद्वारा यहियागंज में दीपावली पर मना बंदी छोड़ दिवस,हुई रोशनी, सजे दरबार और बटी मिठाई