लखनऊ।सिख धर्म में दीपावली के दिन को 'बंदी छोड़ दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेषतौर पर धार्मिक समागम किए जाते हैं। इस दिन को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।
क्योंकि इस दिन बुराई पर सच्चाई की जीत हुई थी।
गुरुद्वारा सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि गुरुद्वारा यहियागंज में 27 अक्टूबर की शाम को दीपावली एवं बंदी छोड़ दिवस बड़ी धूमधाम एवं श्रद्धा से मनाया जा रहा है।इस दिन मीरी पीरी के मालिक छठे पातशाह ' गुरु हरगोविंद साहिब को जब मुगल शासक जहांगीर ने गिरफ्तार किया था, तब गुरु साहिब ने रिहाई के वक्त अपने साथ 52 अन्य राजाओं को भी रिहा करवाया था। इन राजाओं की रिहाई के लिए भाई हरिदास ने एक ऐसा चोला तैयार करवाया जिसमें 52 कलियां थी। जिसके बाद हर एक राजा ने एक कली पकड़ी और किले से बाहर आ गए। जिसके चलते गुरु साहिब को बंदी छोड़ दाता कहा गया है और इस रिहाई वाले दिन को ही 'बंदी छोड़ दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन सिख संगत और सिख संगठनों द्वारा खासतौर पर धार्मिक समागमों का आयोजन किया जाता है। समागम में कीर्तन और कथा करवाए जाते हैं एवं इस दिन के ऐतिहासिक महत्व से अवगत कराया जाता है। इस दिन बड़े स्तर पर आतिशबाजी होती है और साथ ही गुरुद्वारों में दीप जलाए जाते हैं।दरबार साहिब, अमृतसर में खासतौर पर दीप जलाए जाते हैं। वहीं बंदी दिवस के मौके पर श्रद्धालु गुरुद्वारे में नतमस्तक होने के लिए पहुंचते हैं।